ये कविता हमारे भारतीय समाज की महिलाओं की जरुरत है ये कविता हमारे भारतीय समाज की महिलाओं की जरुरत है
फरवरी में ही इश्क़ हो जाए जरूरी है क्या फरवरी में ही इश्क़ हो जाए जरूरी है क्या
तुम कभी इंतज़ार ना करो जरूरी तो नहीं कि तुम भी मुझसे प्यार करो। तुम कभी इंतज़ार ना करो जरूरी तो नहीं कि तुम भी मुझसे प्यार करो।
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
ज़माना क्या कहेगा ये नहीं सोचा कभी हम ने जो था दिल में हमारे वो बताना भी ज़रूरी था ज़माना क्या कहेगा ये नहीं सोचा कभी हम ने जो था दिल में हमारे वो बताना भी ज़रू...
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।